अश्वगंधा का उपयोग शरीर में ऊर्जा लाने और इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए होता है।
अश्वगंधा पाउडर और दवाओं के रूप में उपयोग किया जाता है, जिससे यह हमेशा मार्केट में डिमांड में रहती है।
बहुत से किसान परंपरिक अनाज की खेती करते हैं, लेकिन पर्याप्त मुनाफा नहीं मिलता है।
अश्वगंधा की खेती से किसान लाखों रुपए का कारोबार कर सकते हैं।
अश्वगंधा भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में महत्वपूर्ण है और विदेशों में "भारतीय जिनसेंग" के नाम से जाना जाता है।
बलुई दोमट और लाल मिट्टी अश्वगंधा की खेती के लिए उपयुक्त है, और मिट्टी का पीएच मान 7.5 से 8 के बीच होना चाहिए।
अश्वगंधा की बुआई का सबसे अच्छा समय जुलाई और अगस्त का महीना होता है।
अश्वगंधा की खेती में सिंचाई का महत्वपूर्ण भूमिका होता है और इससे अच्छी पैदावार होती है।
अश्वगंधा की खेती से किसानों को अच्छी कमाई होती है, और यह खेती किसानों के बीच बढ़ रही है