प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना, जिसे प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के रूप में भी जाना जाता है, भारत में एक सरकार द्वारा प्रायोजित फसल बीमा योजना है जिसका उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल हानि या क्षति के मामले में किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है, और कीट।
इस योजना के तहत, किसानों को फसल के प्रकार, खेती के तहत क्षेत्र और बीमा राशि के आधार पर मामूली प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है। सरकार किसानों पर प्रीमियम का बोझ कम करने के लिए सब्सिडी देती है। बीमित राशि का निर्धारण खेती की लागत और फसल की अपेक्षित उपज के आधार पर किया जाता है।
यदि आपके पास प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के बारे में कोई प्रश्न या संदेह है, तो आप सही जगह पर आए हैं। योजना से संबंधित आपके सभी प्रश्नों के व्यापक उत्तर प्रदान करने के लिए हमारे पास जानकारी और विशेषज्ञता है। PMFBY के बारे में हर प्रश्न का जबाव यंहा दिया गया है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों की फसलों से जुड़े हुए जोखिमों की वजह से होने वाले नुकसान की भरपाई करने का माध्यम है। इससे किसानों को अचानक आए जोखिम या प्रतिकूल मौसम की वहज से फसलों को हुए नुकसान की भरपाई की जाती है।
ऋणी एवं गैर ऋणी किसान अधिसूचित क्षेत्र में अधिसूचित की गई फसलों के बीमा का लाभ उठा सकते है। ऋणी किसानों एवं गैर ऋणी किसानों के लिए यह योजना स्वैच्छिक है। यदि कोई ऋणी कृषक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत लाभ नहीं लेना चाहता है, तो उन्हें बैंक द्वारा उपलब्ध कराये गए निर्धारित प्रपत्र में लिखित में यह आवेदन करना होगा कि उन्हें खरीफ 2022 के लिए फसल बीमा से पृथक रखा जाये जिसके आवेदन की अंतिम तिथि 24 जुलाई 2022 है।
बीमित राशि गत 7 वर्षों के जिला स्तर के उपज में से सर्वश्रेष्ठ 5 वर्षों के उपज के औसत को न्यूनतम समर्थन मूल्य से गुणा के अनुसार तथा जिन फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित नहीं है, उनके लिए बाजार भाव से गुणा कर तय की गई है।
खरीफ मौसम के हेतु 2 प्रतिशत, रबी मौसम के हेतु 1.5 प्रतिशत, व्यावसायिक और बगवानी फसलों हेतु बीमित राशि का 5 प्रतिशत है।
1) फसलो की बुवाई / बुवाई ना कर पाने / असफल अनुकरण जोखिमः बीमित क्षेत्र में कम वर्षा अथवा प्रतिकूल मौसम/मौसमी दशाओं के कारण बुवाई / पौध रोपण/ अंकुरण ना होने से हुई हानि से सुरक्षा प्रदान करना ।
2) खड़ी फसल (बुवाई से कटाई तक ): सुखा, शुष्क स्थिति, बाढ़, जलप्लावन, व्यापक रूप से कीटों व रोगों
के प्रभाव, भूस्खलन, प्राकृतिक कारणों से आग, आकाशीय बिजली, तूफान, ओलावृष्टि तथा चक्रवात जैसे रोके न जा सकने वाले जोखिमों के कारण उपज में आए नुकसान को आच्छादन करने के लिए व्यापक जोखिम बीमा आवरण प्रदान किया जाता है ।
(3) फसल कटाई के उपरान्त नुकसान: इस प्रावधान में ओलावृष्टि, चक्रवात, चक्रवाती वर्षा और बेमौसम वर्षा होने की स्थिति में व्यक्तिगत आधार पर खेत में “काटकर व फैलाकर / छोटे गठ्ठरों में बांधकर ” सुखाने हेतु रखी गई फसलों को फसल कटाई के पश्चात केवल 14 दिनों की अधिकतम अवधि में हानि होने की स्थिति में संरक्षण प्राप्त है।
4) स्थानीय आपदाएं: योजना के तहत स्थानीयकृत जोखिमों/आपदाओं यथा ओलावृष्टि, भूस्खलन, जलभराव, बादल फटने तथा अधिसूचित इकाई अथवा किसी खेत के हिस्से पर बिजली गिरने के कारण प्राकृतिक आग लगने से फसल को होने वाले नुकसान को व्यक्तिगत किसान के खेत के स्तर पर बीमा सुरक्षा प्रदान की गई है।
युद्ध, आणविक खतरों, शरारतपूर्ण क्षति एवं अन्य रोके जा सकने वाले जोखिम से होने वाली क्षति को योजना के तहत बीमा कवर से बाहर माना जाएगा।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा प्राप्त करने के इच्छुक गैर-ऋणी किसान निकटतम बैंक शाखा / सहकारी समिति / अधिकृत चैनल पार्टनर / जन सेवा केंद्र (सी.एस.सी) / बीमा कंपनी या उनके अधिकृत एजेंट से संपर्क कर सकते हैं, या निर्धारित तिथि के अंतर्गत स्वयं राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल- https://www.pmfby.gov.in पर ऑनलाइन फार्म भर सकते है।
गैर ऋणी किसानों को राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार आधार कार्ड, पटवारी द्वारा सत्यापित जमाबंदी की नकल, बैंक खाते के पासबुक की प्रति जिसमें IFSC कोड और खाता संख्या अंकित हो या खाते का रद्द (Cancelled ) चेक की प्रति, बटाईदार कृषक होने पर उक्त दस्तावेजों के अतिरिक्त शपथ पत्र, बीमा कराने वाले कृषक का स्वयं का घोषणा पत्र, बटाईदार एवं भू-स्वामी की आधार कार्ड की स्वप्रमाणित प्रति जमा करवाना अनिवार्य है।
मुख्य फसलों के लिए बीमा इकाई पटवार मंडल स्तर एवं अन्य फसलों के लिए बीमा इकाई तहसील स्तर है।
यद्दपि कृषकों द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में फसल बीमा करवाया जाना पूर्णतया स्वैच्छिक है, किन्तु ऋणी कृषकों को योजना के बाहर रहने (opt-out ) के लिए नामांकन की अंतिम दिनांक से 7 दिवस पूर्व (खरीफ के लिए 24 जुलाई ) तक सम्बंधित वित्तीय संस्था में (जहां से कृषि ऋण लिया हो ) इस बाबत घोषणा • पत्र प्रस्तुत करना होगा ( घोषणा पत्र का प्रारूप सम्बंधित बैंक शाखा में उपलब्ध है ), अन्यथा उनको योजना में सम्मिलित माना जायेगा।
अधिसूचित स्थानीय आपदाओं की स्थिति में प्रभावित बीमित कृषक को आपदा के 72 घण्टे के अन्दर सीधे बीमा कम्पनी के टोल फ्री नम्बर 18004196116 पर अथवा Crop Insurance App अथवा लिखित में अपने बैंक / कृषि विभाग के अधिकारियों / जिला पदाधिकारियों के माध्यम से सूचित करना आवश्यक है।
यदि 72 घण्टे में कृषक द्वारा पूर्ण सूचना उपलब्ध नहीं करवाई जाती है तो वह कृषक सात दिवस में पूर्ण सूचना विभाग द्वारा निर्धारित प्रपत्र ( जो की सभी स्थानीय कृषि कार्यालयों में उपलब्ध है ) में सम्बंधित बीमा कम्पनी को आवश्यक रूप से देगा, जिसमें किसान का नाम, गांव का नाम, मोबाईल नं., बैंक का नाम, बैंक खाता संख्या, आपदा का प्रकार, प्रभावित फसल आदि की सूचना अंकित होनी चाहिए।